सालासर बालाजी धाम –यात्रा इतिहास और मंदिर की जानकारी 2024
सालासर बालाजी धाम का इतिहास:
Salasar Balaji Temple In Hindi : अगर आप हनुमानजी के भक्त हैं और राजस्थान घूमने गए हैं, तो सालासर बालाजी मंदिर के दर्शन करना मत भूलिएगा। यह मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है। सालासर बालाजी पवन पुत्र हनुमान का पवित्र धाम है। कहने को तो भारत देश में हनुमानजी के कई मंदिर हैं, लेकिन हनुमानजी के इस मंदिर की उनके भक्तों के बीच बहुत मान्यता है राजस्थान में बालाजी के नाम से विख्यात हनुमान जी के अनेक प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिनमें सालासर के चमत्कारी श्री बालाजी मन्दिर का विशेष महत्व है।
सालासर राजस्थान प्रान्त के चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। सुजानगढ़ से लगभग 25 किलोमीटर दूर मरूस्थल कटीलों के बीच सालासर का परम.पावन क्षेत्र स्थित है। सालासर के कण कण में श्री बालाजी विद्यमान हैं। श्री बालाजी मन्दिर सालासरए राजस्थानी शैली में निर्मित एक भव्य एवं विशाल मन्दिर है।
सालासर में स्थापित सिद्धपीठ बालाजी की प्रतिमा आसोटा गांव के एक खेत में प्रकट हुई थी। बालाजी के परम भक्त मोहनदास जी को हल चलाते समय इस प्रतिमा के प्रथम दर्शन हुए थे। तत्पश्चात भक्त श्री मोहनदास द्वाराए श्री बालाजी महाराज की दिव्य प्रेरणा सेए आज से लगभग 253 वर्ष पूर्वए विक्रमी सम्वत् 1811 ;इघ् सन 1754श्रावन शुक्ल नवमी शनिवार को श्री बालाजी के श्रीविग्रह की प्रतिष्ठा सालासर के परम पावन क्षेत्र में हुई।
भक्त मोहनदास जी एवं उनकी बहन कान्ही बाई ने अनन्य भक्ति भाव से बालाजी की सेवा अर्चना की और बालाजी के साक्षात् दर्शन प्राप्त किए। कहते हैं कि श्री बालाजी एवं मोहनदास जी आपस में वार्तालाप करते थे।
मन्दिर में श्री बालाजी की भव्य प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजमान है। इसके ऊपरी भाग में श्री राम दरबार है तथा निचले भाग में श्री राम चरणों में दाढ़ी.मूंछ से सुशोभित हनुमान जी श्री बालाजी के रूप में विराजमान हैं। मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है जिसे गेरूए रंग और सोने से सजाया गया है। बालाजी का यह रूप अद्भुतए आकर्षक एवं प्रभावशाली हैं। प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई हैं और सोने का रत्न जडि़त भव्य मुकुट चढ़ाया गया है। प्रतिमा पर लगभग 5 किलोग्राम सोने से निर्मित स्वर्ण छत्र भी सुशोभित है।
प्रतिष्ठा के समय से ही मन्दिर के अंदर अखण्ड दीप प्रज्वलित हैं। मन्दिर परिसर के अन्दर प्राचीन कुएं का लवण मुक्त जल आरोग्यवर्धक है। श्रद्धालुए यहां स्नान कर अनेक रोगों से छुटकारा पाते हैं। मन्दिर के अन्दर स्थित प्राचीण धूणां आज भी जल रहा है।
शुरू में जाटी वृक्ष के पास एक छोटा सा मन्दिर था। श्री बालाजी महाराज की अनुकम्पा से आज यहां विशाल स्वर्ण निर्मित मन्दिर है। जांटी का वृक्ष आज भी मौजूद हैं जिस पर भक्तजन नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं तथा लाल धागे बांधकर मन्नत मांगते हैं। मन्दिर के ऊपर स्थापित भारतीय संस्कृति की झलक देने वाली लाल ध्वजाएं अनवरत रूप से लहराती रहती हैं।
श्री बालाजी मन्दिर से पहले लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर श्री अंजनी माता का मन्दिर है। अंजनी माता का यह मंदिर भव्य एवं प्रतिमा स्वर्ग निर्मित हैं। मन्दिर की शोभा भव्य एवं वातावरण सात्विक है। सालासर आने वाले सभी भक्जतन सबसे पहले श्री अंजनी माता मन्दिर में पूजा.अर्चना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।
तत्पश्चात भक्तजन श्री बालाजी मन्दिर की तरफ प्रस्थान करते हैं। कुछ विशिष्ट भक्तजन पेट के बल चलते हुए मन्दिर तक पहुंचते हैं। पैदल चलकर आने वाले यात्री हाथों में लाल घ्वजा लेकर चलते हैं।
श्री बालाजी की दैनिक परम्परागत भोग तथा भक्त श्री मोहनदास जी के वशंजों द्वारा की जाती है। बालाजी के भोग में प्रायरू चूरमाए लड्डूए पेड़े आदि चढ़ाए जाते हैं। परम्परागत रोट और खिचड़ा भी श्री बालाजी के भोग में सम्मिलित हैं। श्री बालाजी महाराज की जप तथा कीर्तन आदि यहां निरन्तर चलते रहते हैं।
श्री बालाजी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां ध्वजा नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं। कुछ श्रद्धावान भक्त सवामणीए भण्डारा आदि अर्पित करते हैं। सवामणी का प्रचलन यहां सबसे ज्यादा है।
देश विदेश से भक्तगण श्री बालाजी के दर्शनार्थ सालासर आते हैं। मंगलवार तथा शानिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला लगता है जो काफी दिनों तक चलता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती हैं। पैदल चलकर भी लाखों श्रद्धालु आते है। राजस्थान के अलावा पंजाबए हरियाणाए दिल्ली सहित पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
क्या होती है सवामणीरू. सवामणी श्री बालाजी महाराज को अर्पित की जाने वाले सवामण लगभग 50 किलोग्राम भोग सामग्री होती है। यह भोग सामग्री एक ही प्रकार की होती है जो लड्डूए पेड़ाए बर्फीए चूरमा होते हैं परंतु ज्यादातर सवामणी बेसन के लडड्ओं की होती हैं। भोग के उपरान्त सवामणी को भक्तों में वितरण करना होता है।
श्री सालासर बालाजी मन्दिर कहां स्थित है
सालासर बालाजी राजस्थान के चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। सुजानगढ़ से 25 किलोमीटर दूर मरूस्थल के टीलों के बीच सालासर का पावन मंदिर है। सालासर के हर कण में श्री बालाजी बसे हैं। श्री सालासर बालाजी मन्दिर राजस्थानी शैली में निर्मित विशाल एवं सुंदर मन्दिर है।
सालासर बालाजी मंदिरकैसे पहुंचे:
Near by Railway Station Salasar Balaji
Sujangarh 38 min 27 km
Salasar Balaji Near by Bus Station
Salasar7 min 700 m
Salasar Balaji Near by Airport
Jaipur
3 hr 20 min (184 km)
Kishangarh3 hr 29 min (163 km)
सालासर बालाजी मंदिर के पास रहने के लिये 25+ धर्मशाला व 30+ होटल है
सालासर बालाजी मंदिर के पास श्री खाटू श्याम जी की दूरी 90 किलो मीटर है
सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं सालासर बालाजी, पूरे साल भक्तों का लगा रहता है तांता
सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जयंती, रामनवमी के अवसर पर भण्डारे और कीर्तन को विशेष आयोजन किया जाता है। प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार के दिन मंदिर में कीर्तन आदि आयोजन होते हैं और बडी संख्या में इन दिनों में श्रद्धालु दर्शन करते हैं। लगभग 25 वर्षों से यहां रामायण का अखण्ड पाठ चल रहा है। साथ ही प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा एवं आश्विन पूर्णिमां को भव्य मेले लगते हैं। इन मेलों में बड़ी संख्या विदेशी सैलानी भी मौजूद रहते हैं।
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