कहा है काले हनुमान? जानिए उनकी कथा
काले हनुमानजी मन्दिर
काले हनुमान जी मंदिर जयपुर में हवा महल के पास स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जिसे 1000 साल पहले बनाया गया था। यह मंदिर महाबजरंग बलि हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध है,जो रंग में काला है इस मंदिर में स्थापित महाबजरंगबलि हनुमान जी भगवान राम के पार्टी अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, हनुमान जी की मूर्ति या तो नारंगी या लाल रंग में होती है हालांकि, काले हनुमानजी अपने अद्वितीय रंग देवता के लिए विश्वव्यापी प्रसिद्ध हैं। भक्त धार्मिक स्थान के अंदर एक अलग अंतर्दृष्टि महसूस करते हैं और इस प्रकार उनके दिल में इतनी सारी मान्यताओं को लेते हैं। इस मंदिर के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भक्तों को आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव प्रदान करता है। जो लोग बीमारियों से पीड़ित हैं वे स्वास्थ्य, धन और ज्ञान हासिल करने के लिए विशेष हनुमानजी मंत्र का जप करने के लिए यहाँ आते हैं । यह मंदिर न केवल पर्यटक बिंदु या गंतव्य के रूप में बहुत प्रसिद्ध और प्रमुख है बल्कि इसकी प्राचीन लोकप्रियता और भारतीय परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।
इतिहास
जयपुर शहर की स्थापना से पहले, कलकत्ता से सभी तरह के कन्स्ट्रक्टर्स और श्रमिकों को इस विशेष काले हनुमानजी मंदिर का निर्माण करने के लिए बनाया गया था। 'वास्तु' के अनुसार, मंदिर बनाया गया है और मंदिर में स्तंभों को 'पुष्य नक्षत्र' के रूप में बनाया गया है। मंदिर में भगवान विष्णु (रघुनाथजी), रामजी और सीताजी के देवताओं के साथ हनुमानजी की एक मुख्य मूर्ति है। भक्तों का कहना है कि वे भगवान हनुमान के साथ सीधी प्रभाव महसूस करते हैं क्योंकि भगवान हनुमान की हिंदू देवता दृढ़ता और शारीरिक शक्ति का प्रतीक है।
पूजा समय
सोमवार से रविवार
प्रातः काल- 06:00 बजे 12:00 बजे
सांय काल- 04:00 बजे 06:00 बजे से
विशेष आरती- शाम 7:00 बजे
मंदिर तक पहुँचने का मार्ग
जयपुर से आप ऑटो - रिक्सा के द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते है
मंगलवार और शनिवार को 'बंदर' की पूजा करते है और मंदिर परिसर में हनुमान चालिसा को पढ़ने के लिए अतिरिक्त समय है।
काले हनुमान जी की कथा
के इस अनोखे मंदिर की रोचक कहानी
अगर आप हनुमान जी की भक्त हैं और हर मंगलवार हनुमान जी की अराधना करती हैं तो आपको हनुमान जी के इस अनोखे मंदिर की कहानी जरूर जाननी चाहिए।
मंगलवार का दिन हनुमान जी के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन को हिंदू धर्म के लोग भगवान हनुमान की पूजा अर्चना और पाठ करते हैं। अमूमन मंदिरों, चित्रों और मूर्तियों में भगवान हनुमान को केसरिया रंग में ही देखा गया है। उन पर पक्के सिंदूर को चढ़ाने का अलग ही महत्व है। मगर, भारत में एक स्थान ऐसा भी है जहां हनुमान जी कि प्रतिमा काली है। शायद आपको यह बात सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा कि हनुमान जी का रंग काला कैसे हो सकता है। मगर, इसके पीछे एक बेहद रोचक कहानी छुपी हुई है।
हनुमान जी को हमेशा से ही भगवान राम का भक्त बताया गया है। शास्त्रों और पुराणों में भी भगवान राम और हनुमान जी से जुड़ी कई कहानियां मिल जाती हैं। रामायण में बताया गया है कि भगवान श्री राम के साथ मिल कर हनुमान जी ने माता सीता को लंका के राजा रावण से बचाया था। कई लोग भगवान हनुमान की पूजा इसलिए भी करते हैं क्यों कि वह बाल ब्रह्मचारी थे। जिन्हें डर और भय सताता है वह भी भगवान हनुमान की अराधना करते हैं। मगर, राजस्थान की राजधानी जयपुर के चांदी टकसाल स्थित भगवान हनुमान के काले होने का राज आपको हैरान कर देगा।
इस मंदिर की कहानी विचित्र है और साथ ही भगवान हनुमान के काले होने का राज भी आपको चकित कर देगा। दरअसल, पुराणों और शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान सूर्य हनुमान जी के गुरू थे। एक बार हनुमान जी को भगवान सूर्य को गुरु दक्षणा देने का मन हुआ। उन्होंने सूर्य देव से पूछा, ‘हे प्रभु में आपको गुरु दक्षणा में क्या दे सकता हूं।’ तब भगवान सूर्य ने कहा, ‘हनुमान, मेरा पुत्र शनि मेरा कहा नहीं सुनता और मेरे पास भी नहीं आता है। अगर तुम मेरे लिए कुछ करना चाहते हो तो मेरे पुत्र को मेरे पास ले आओ।'
हनुमान जी, ने अपने गुरू की इच्छा को पूरा करने के लिए शनि देव का पीछा किया। काफी मुश्किलों के बाद शनि महाराज जब हनुमान जी के हाथ लगे तो वह हनुमान जी की गुरु भक्ति के कायल हो गए। वह हनुमान जी के आगे नतमस्तक हो गए और कहा, ‘मैं आपकी गुरु भक्ति देख बहुत खुश हुआ हूं। मैं इस बात की घोषणा करता हूं कि शनिवार के दिन मेरे भक्तों की मनोकामना तब तक पूरी नहीं होगी जब तक वह मेरी अराधना के बाद आपकी पूजा नहीं करेंगे।’ इतना ही नहीं शनि महाराज की इच्छा अनुसार ही हनुमान जी ने काला रंग भी धारण कर लिया।
स्थान
जयपुर का यह मंदिर इस कहानी का प्रतीक है। यहां मंगलवार को तो हनुमान जी की पूजा होती ही है साथ ही शनिवार को भी यहां भक्तों की भीड़ रहती हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर जलमहल के नजदीक है। इस मंदिर को आमेर के राजा जयसिंह ने बनवाया था। मंदिर में हनुमान जी की पूर्वमुखी प्रतिमा । इन्हें सांगानेरी गेट के भीतर रक्षक की तरह स्थापित किया गया है।
मंदिर की खासियत
यह मंदिर बेहद खूबसूरत हैं। इसे राजस्थानी स्थापत्य कला और वास्तु के नियम कायदों को ध्यान में रख कर बनाया गया है।मंदिर को दो मंजिलाा बनाया गया है और बाहर से देखने में यह महल जैसा नजर आता है।मंदिर में कई देवी देवता हैं।
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