उज्जैन में एक ऐसा मंदिर काल भैरव बाबा का जहां चढ़ाई जाती है शराब । भोग लगाया जाता है इनको शराब का जानिए संपूर्ण जानकारी
काल भैरव बाबा
Kaal Bhairav Temple Ujjain: आज हम आपको उज्जैन स्थित बाबा काल भैरव मंदिर के ऐसे रहस्य के बारे में बता रहे हैं, जहां पर उन्हें शराब का भोग लगाया जाता है और भगवान काल भैरव इस शराब को पी जाते हैं. इस मंदिर को पुरात्तव विभाग और वैज्ञानिक भी भगवान का चमत्कार बताते हैं
हमारे देश में ऐसे अनेक मंदिर हैं, जो अपनी अनोखी परंपरा व रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है मप्र के उज्जैन में स्थित भगवान कालभैरव का। इस मंदिर के संबंध चमत्कारी बात ये है कि यहां स्थित कालभैरव की प्रतिमा मदिरा (शराब) का सेवन करती है लेकिन मदिरा जाती कहां है ये रहस्य आज भी बना हुआ है। प्रतिमा को मदिरा पीते हुए देखने के लिए यहां देश-दुनिया से काफी लोग पहुंचते है
काल भैरव मंदिर का रहस्य –
हमारे देश में कई मंदिर हैं, जो अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित, भगवान काल भैरव का मंदिर है। इस मंदिर की चमत्कारी और रहस्यमयी बात यह है कि यहां स्थित काल भैरव की मूर्ति शराब का सेवन करती है।
आश्चर्य की बात यह है कि जिस पात्र में शराब परोसी जाती है वह खाली हो जाता है, जिसका रहस्य आज भी बना रहस्य ही बना हुआ है।
माना जाता है कुछ सालो पहले ब्रिटिश अधिकारी ने इस रहस्य का पता लगाने के लिए, बाबा काल भैरव की मूर्ति के आसपास काफी खुदाई करवाई थी, लेकिन उसके बाबजूद भी इस रहस्य का पता नही लगया जा सका।
साथ इस मंदिर के संबंध में यह भी कहा जाता है प्राचीन समय में यहाँ तांत्रिक सिर्फ आते थे और यहाँ आकर तांत्रिक क्रियाएं करते थे और माना जाता यहाँ किया गया तंत्र कभी भी विफल नहीं होता है।
काल भैरव मंदिर के दर्शन का समय –
काल भैरव मंदिर उज्जैन की यात्रा पर जाने वाले श्र्धालुयों को बता दे काल भैरव मंदिर प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से रात 9.00 बजे तक खुला रहता है।
आप इस दौरान दिन के किसी भी समय काल भैरव दर्शन के लिए जा सकते है।
काल भैरव मंदिर उज्जैन केसे पहुंचे
काल भैरव मंदिर उज्जैन की यात्रा पर जाने वाले पर्यटकों को हम बता दें कि आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी अपनी चॉइस के अनुसार सिलेक्शन कर सकते हैं।
हम फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग से काल भैरव मंदिर उज्जैन केसे जा सकते हैं।
कालभैरव उज्जैन इतिहास
उज्जैन में काल भैरव मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों तक फैला है और यह शहर की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण है और भगवान शिव के उग्र स्वरूप भगवान भैरव को समर्पित एक पवित्र स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है ।
काल भैरव मंदिर की सटीक उत्पत्ति समय की धुंध में डूबी हुई है। हालाँकि, ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा शासकों के समय में किया गया था। मराठों ने हिंदू मंदिरों को संरक्षण दिया और उज्जैन में विभिन्न धार्मिक स्थलों के विकास और जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मंदिर की वास्तुकला मराठा और पारंपरिक हिंदू शैलियों का मिश्रण दर्शाती है। इस संरचना की विशेषता इसकी जटिल पत्थर की नक्काशी और भगवान भैरव के विभिन्न रूपों को दर्शाती मूर्तियां हैं। मंदिर के मुख्य देवता भगवान भैरव की एक पत्थर की मूर्ति है, जिसके बगल में एक कुत्ता है, जो वफादारी और सतर्कता का प्रतीक है।
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