भोजपुर का शिवलिंग क्यों है अधूरा आज भी चलिए जानते है। क्या है पूरा सच भोजपुर के शिवलिंग की संपूर्ण जानकारी
भोजपुर का शिवलिंग क्यों है अधूरा आज भी चलिए जानते है। क्या है पूरा सच भोजपुर के शिवलिंग की संपूर्ण जानकारी
भोपाल से 32 किमी की दूरी पर पहाड़ी पर एक बहुत बड़ा अधूरा शिव मंदिर है। ये भोजपुर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था। ये मंदिर प्रकृति के बीच बना हुआ है, जहां से बेतवा नदी गुजरती है, उसी से सटे इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के बारे में कहते हैं कि ये एक एकलौता शिवलिंग है जो एक है पत्थर से बना हुआ है।
ये भोजपुर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था। ये मंदिर प्रकृति के बीच बना हुआ है, जहां से बेतवा नदी गुजरती है, उसी से सटे इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
मंदिर का निर्माण कब हुआ था -
मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आने से पहले किया गया था, इस मंदिर के छत पर बना अधूरा गुंबद इस बात को दिखाता है कि इसका कार्य आज भी अधूरा है। मंदिर का दरवाजा किसी मंदिर के इमारत के दरवाजे से काफी बड़ा है।
माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने माता कुंती ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी। लेकिन जैसे ही सुबह हुई पांडव लुप्त हो गए और मंदिर अधूरा ही रह गया।
मंदिर की पूजा विधि
इस मंदिर में भगवान शिव के पूजा अर्चना करने का तरीका भी एकदम अलग है, शिवलिंग इतना बड़ा है कि आप यहां खड़े होकर भी अभिषेक कर सकते हैं। यहां अभिषेक हमेशा जलहरी पर चढ़कर ही किया जाता है। कुछ समय पहले श्रद्धालु भी जलहरी तक पूजा कर सकते थे, लेकिन अब पुजारी ही वहां तक जा सकते हैं।
भोजपुर की शिवलिंग कितने फिट की है?
सही उत्तर 18 फीट है। भोजेश्वर मंदिर भोजपुर में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 18 फीट है। भोजपुर शिव मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारतीय राज्य मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किमी दूर स्थित भोजपुर से सटे पहाड़ी पर स्थित है।
अधूरा है भोजपुर का ये शिव मंदिर
भोजेश्वर मंदिर का अधूरा निर्माण हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के अधूरे होने के पीछे एक बड़ा कारण है। किस्से कहानियों कहते हैं। इस मंदिर को किसी वजह से एक ही रात में बनाया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सुबह होते ही इस मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया। उस समय छत के बनाए जाने का कार्य चल रहा था, लेकिन सूर्योदय होने के साथ ही मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया, तब से ये मंदिर अधूरा ही है। हालांकि पुरातत्व विभाग ऐसी किसी भी घटना की पुष्टि नहीं करता
एशिया के सबसे बड़े शिवलिंग भोजपुर
भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) कि गुम्बदाकार छत हैं। चुकी इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था अतः इस मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।
पार्वती कि गुफा यहां पर स्थित है
भोजपुर शिव मंदिर(Bhojpur Shiv Temple) के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा हैं यह पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। इस गुफा में पुरातात्विक महत्तव कि अनेक मूर्तिया हैं।
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