कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर है बेहद खास, दर्शनमात्र से पूरी हो जाती है सभी की मनोकामना ।
कोलकाता मंदिर
कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां की असीम कृपा बनी रहती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थी.
काली मां की अराधना करने वाले भक्तों के लिए कोलकाता का दक्षिणेश्वर मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.
मंदिर में मां काली के अवतार मां भवतारिणी की पूजा की जाती है. 25 एकड़ में फैले इस मंदिर में हर रोज देश भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं. यह मंदिर दक्षिणेश्वर में स्थित है और इसलिए इसे दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है.
दक्षिणेश्वर काली मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां की असीम कृपा बनी रहती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थी. काली मां की अराधना करने वाले भक्तों के लिए कोलकाता का दक्षिणेश्वर मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है
हमें दक्षिणेश्वर मंदिर कब जाना चाहिए?
सर्वोत्तम अनुभव के लिए आपको अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी, मार्च महीनों के दौरान दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दौरा करना चाहिए।
दक्षिणेश्वर कहां स्थित है
उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जो हिन्दू देवी काली माता ही है।
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