पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर 2024

 

पशुपतिनाथ मंदिर 



मंदसौर का मुख्य आकर्षण भगवान पशुपतिनाथ मंदिर है। पशुपतिनाथ भगवान शिव का पर्यायवाची नाम है। इस कलात्मक मूर्ति का निर्माण चमकते हुए गहरे तांबे के उग्र चट्टान-खंड में हुआ है। मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है।

इसका वजन 4600 किलोग्राम है। वक्रता में ऊँचाई 7.25 फीट और सीधी में 11.25 फीट है। इसके 8 सिर हैं जिन्हें वे दो भागों में विभाजित करते हैं। पहला भाग 4 शीर्ष पर और दूसरा भाग 4 शीर्ष तल में। शीर्ष 4 सिर स्पष्ट, परिष्कृत और पूर्ण हैं तो 4 नीचे के सिर परिष्कृत नहीं हैं।

इस मंदिर के चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं लेकिन प्रवेश द्वार पश्चिम में स्थित है। इस पुतले के सिर जो पश्चिम में स्थित हैं, भगवान शिव की भयावह छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। इस सिर के मेकअप में तीन रास्प (नख) दिखाई देते हैं जो जहरीले सांपों के गोले के आकार के बालों में होते हैं, तीसरी आंख और उभरी हुई जेली होती है। केंद्र में उलझे हुए बाल सांपों से घिरे होते हैं जो सर्वनाश करने वाले ओम्कार होते हैं (वेद मंत्र जो ईश्वर के प्रतीक हैं)

दरअसल ये मंदिर प्राकृति की गोद में बसा हुआ है. इसलिए यहां भक्तों को भगवान शिव के दर्शन के साथ सुंदर नजारे भी देखने को मिलते हैं. वहीं मंदिर के पास से निकल रही शिवना नदी इसकी खूबसूरती और भी बढ़ा देती हैं.

श्री पशुपतिनाथ का इतिहास


अष्टमुखी भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मालवांचंल की सांस्कृतिक पहचान हैं। चमकदार गहरे ताम्रवर्णीय आग्नेय शिलाखण्ड से निर्मित यह प्रतिमा सदियों पूर्व में शिवना नदी की गोद में समाई हुई थी। प्रचण्ड ग्रिष्मकाल में जब शिवना नदी का पानी सुख जाता है और व्यवसाई लोगों के द्वारा लगातार रेत का खनन करने के कारण इस प्रतिमा का कुछ अंश सर्वप्रथम उदाजी धोबी को 10 जुन 1940 में दिखाई दिया। इस प्रतिमा को नदी के गर्भ में दबी अवस्था में उन्होने चिमन चिश्ती की दरगाह के सामने देखा था। यह प्रतिमा खुले परिसर में 21 वर्ष 5 माह तक पडी रही। इसके बाद 1961 में मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई। प्रतिमा का वजन 46 क्विंटल , ऊँचाई साढ़े 7 फीट गौलाई 11 फीट हैं।
माना जाता है कि मुर्ति का निर्माणकाल सम्राट यषोधर्मन की हूणांे पर विजय के आसपास विक्रम संवत 575 ई़़. में रहा होगा । संभवतः मुर्तिभंजकों से सुरक्षित रखने की दृष्टि से इसे शिवना नदी में दबा दिया था।

Accepted भगवान श्री पशुपतिनाथ के मुखो का विवरण
भगवान शिव की इन अष्ट मुखों के नाम शर्व , भव , रूद्र , उग्र , भीम , पशुपति , महादेव और ईशान हैं। ये ही अष्टमुर्ति पृथ्वी , जल , अग्नि वायु , आकाश , यजमान (आत्मा/क्षैत्रज्ञ) , सूर्य और चन्द्रमा को अधिष्ठित किये हुवे र्हैं। अर्थात भगवान शिव के रूप में सूर्य एवं चन्द्रमा प्रत्यक्ष देवता हैं तथा पृथ्वी , जल , वायु , अग्नि आकाश ये पॉच सूक्ष्म तत्व है जिवात्मा यजमान रूप में यज्ञ (उपासना) करने वाला हैं।

पूर्व मुख :- जीवन की बाल्यावस्था का प्रतीक हैं। घुंघराले बाल , मोर पंख धारण किये नागनागिन का जोड़ा कुण्ड़ल के रूप में भुजं़ग माला पहने शिव बाल सदृश लगते हैं। यह मुख शांत रस को प्रकट करता हैं।


हवाई मार्ग
मंदसौर जिले मे कोई भी एयरपोर्ट नाही हैं ककिन्तु नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर और इंदौर हैं |

ट्रेन द्वारा
मंदसौर जिले के अलावा समीप मे स्थित रेल्वे स्टेशन शामगढ़ और रतलाम हैं|

सड़क के द्वारा
पशुपतिनाथ मंदिर की दूरी मंदसौर बस स्टॉप से 3 किलो मीटर हैं|

     

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